EPFO Circulars : अक्सर देखा गया है कि जब किसी कर्मचारी या सदस्य का निधन हो जाता है, तो उसकी जमा राशि या पेंशन उसके बच्चों को मिलनी होती है। लेकिन कई दफ़्तर इन मामलों में “संरक्षकता प्रमाणपत्र” (Guardianship Certificate) की मांग करने लगते हैं। यह प्रमाणपत्र अदालत से लेना पड़ता है और यह प्रक्रिया समय लेने वाली, महंगी और थकाऊ होती है। इस कारण नाबालिग बच्चों और उनके परिवार को अनावश्यक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, खासकर तब जब परिवार को तुरंत आर्थिक सहयोग की आवश्यकता होती है।
तो ऐप होने पर एक नया सर्कुलर जारी किया है जिसके अंतर्गत कर्मचारियों के नाबालिक बच्चों के लिए इस प्रकार के सर्टिफिकेट (Guardianship Certificate) देने की आवश्यकता नहीं होगी अगर उन कर्मचारियों की मृत्यु हो जाती है तो, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से..

नई व्यवस्था
सरकार और संबंधित विभागों ने इस जटिलता को दूर करने के लिए प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नए निर्देशों के अनुसार, यदि नाबालिग बच्चों के नाम पर बैंक खाते खोले जाएँ और भुगतान की राशि सीधे उन्हीं खातों में जमा की जाए, तो अब संरक्षकता प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी। इस बदलाव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों को उनका हक़ समय पर मिले। इससे उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़मर्रा की ज़रूरतें बिना किसी प्रशासनिक देरी के पूरी हो सकेंगी।
बैंक खाते खोलने की प्रक्रिया
दावेदारों (यानी मृतक के परिवार के सदस्य) को यह सलाह दी जाएगी कि वे नाबालिग बच्चों के नाम से अलग-अलग बैंक खाते खुलवाएँ। इन खातों में मृतक की जमा राशि, ग्रेच्युटी, भविष्य निधि, बीमा की रकम और पेंशन की राशि सीधे जमा की जाएगी। यह तरीका न केवल सुरक्षित है बल्कि पारदर्शी भी है। प्रत्येक बच्चे के लिए अलग खाता होने से विवाद की संभावना कम होगी और यह सुनिश्चित होगा कि बच्चों को उनकी पूरी राशि मिले। साथ ही, बैंक यह भी देखेंगे कि खातों का पैसा केवल बच्चों के हित में ही उपयोग हो।
ईपीएफओ ने इसमें स्पष्ट किया है कि अगर आप बच्चों का अकाउंट अलग-अलग खुलवाते हैं, तो उनके खाते में मिलने वाला ईपीएफओ के द्वारा लाभ आसान तरीके से प्रदान किया जाएगा |
अतिरिक्त प्रावधान
यदि आवश्यक हो, तो बच्चों के खाते का संचालन जीवित माता-पिता या किसी वैधानिक संरक्षक द्वारा किया जा सकता है। इसके अलावा, इन खातों को आधार और अन्य पहचान पत्रों से जोड़ा जाएगा, जिससे धोखाधड़ी और ग़लत इस्तेमाल की संभावना समाप्त हो सके। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और व्यवस्था की पारदर्शिता दोनों को मजबूत करेगा।
लाभ और प्रभाव
इस नई व्यवस्था से परिवारों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे:
- बच्चों को समय पर आर्थिक सहायता मिलेगी और उनकी ज़रूरतें पूरी होंगी।
- परिवार को कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने की ज़रूरत नहीं होगी।
- वकीलों की फीस और कानूनी खर्चों से छुटकारा मिलेगा।
- सरकारी प्रक्रियाएँ अधिक पारदर्शी और जनता के अनुकूल बनेंगी।
- भविष्य में पैसों को लेकर विवाद की संभावना काफी कम हो जाएगी।
कार्यालयों के लिए निर्देश
सभी दफ़्तरों को निर्देश दिया गया है कि वे इस नए नियम को तुरंत लागू करें। दावेदारों को पूरी जानकारी दी जाए और उनसे अनावश्यक दस्तावेज़ या प्रमाणपत्र न माँगे जाएँ। साथ ही, दफ़्तरों के कर्मचारियों को नई प्रक्रिया के बारे में प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि किसी को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
निष्कर्ष
जीएफ को द्वारा जारी किया गया इस सर्कुलर के अंतर्गत नाबालिक बच्चों को अब किसी भी पीएफ ऑफिस किसी भी कोर्ट जहां से गार्जियन से सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं होगी, अगर उनके माता-पिता में से दोनों की मृत्यु हो जाती है तो | साथ ही साथ अगर एक से अधिक बच्चे हैं तो उनके अलग-अलग खाते होने पर उनको मिलने वाली धनराशि उनके खाते में अलग-अलग प्रदान की जाएगी |
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