GST New Slab : भारत सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) प्रणाली को सरल और अधिक प्रभावी बनाने के लिए बड़े बदलाव की सिफारिश की है। अभी तक जीएसटी चार दरों पर लागू होता है—5%, 12%, 18% और 28%। लेकिन नए प्रस्ताव के अनुसार, केवल दो मुख्य दरें रखी जाएंगी: 5% और 18%। यह कदम न सिर्फ टैक्स संरचना को सरल बनाएगा, बल्कि उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों के लिए इसे समझना और लागू करना आसान हो जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे जीएसटी प्रणाली की जटिलता घटेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।
GST New Slab

रोजमर्रा के सामान होंगे सस्ते
प्रस्ताव के तहत, 12% वाले लगभग सभी (99%) उत्पादों को घटाकर 5% स्लैब में रखा जाएगा। इसी तरह, 18% वाले करीब 90% सामानों पर टैक्स घटाकर 12% करने की सिफारिश की गई है। इस बदलाव से उपभोक्ताओं को सीधा फायदा मिलेगा क्योंकि रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले सामान जैसे कपड़े, जूते, घरेलू सामान और पैकेज्ड फूड की कीमतें कम हो सकती हैं। यह बदलाव खासकर मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए राहत लेकर आएगा। साथ ही, सस्ते दामों से मांग और खपत बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
हेल्थ इंश्योरेंस पर राहत
अभी तक स्वास्थ्य बीमा पर 18% टैक्स वसूला जाता है, जो कई लोगों के लिए इसे महंगा बना देता है। नए प्रस्ताव में इसे घटाकर 5% करने की बात कही गई है। ऐसा होने से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम कम होगा और ज्यादा लोग बीमा लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे न केवल आम जनता पर मेडिकल खर्च का बोझ घटेगा, बल्कि देश में स्वास्थ्य सुरक्षा कवरेज भी तेजी से बढ़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बीमा क्षेत्र के विकास और स्वास्थ्य सेवाओं तक आम लोगों की आसान पहुंच सुनिश्चित करेगा।
लग्ज़री और तंबाकू पर कड़ा टैक्स
जहां आम और जरूरत की वस्तुओं पर राहत देने का प्रस्ताव है, वहीं लग्ज़री आइटम और तंबाकू उत्पादों पर टैक्स की दर 40% तक रखने की सिफारिश की गई है। सरकार का तर्क है कि ऐसे उत्पाद आवश्यक नहीं हैं और इन पर ज्यादा टैक्स लगाकर एक ओर तो राजस्व बढ़ाया जा सकता है और दूसरी ओर लोगों को इनकी खपत से हतोत्साहित भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, महंगी कारें, लग्ज़री घड़ियां और तंबाकू से जुड़े उत्पाद इस श्रेणी में शामिल हो सकते हैं। इससे होने वाली अतिरिक्त कमाई का उपयोग सरकार विकास परियोजनाओं और सामाजिक योजनाओं पर कर सकती है।
पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी से बाहर
गौर करने योग्य बात यह है कि पेट्रोलियम उत्पादों को अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा। पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी जैसी वस्तुओं पर पुराने टैक्स ढांचे के अनुसार ही टैक्स वसूला जाएगा। सरकार का कहना है कि इन्हें जीएसटी में शामिल करने से राज्यों की आय पर बड़ा असर पड़ेगा और राजस्व में कमी आ सकती है, इसलिए फिलहाल इन्हें बाहर ही रखा जाएगा।
उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था को लाभ
अगर ये प्रस्तावित बदलाव लागू होते हैं, तो जीएसटी सिस्टम न केवल सरल और पारदर्शी बनेगा बल्कि उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी। आवश्यक वस्तुएं सस्ती होंगी, जिससे आम लोगों की जेब पर बोझ कम होगा। वहीं, गैर-जरूरी और लग्ज़री वस्तुओं से सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा। यह संतुलित टैक्स व्यवस्था छोटे और मध्यम व्यापारियों को भी फायदा पहुंचाएगी क्योंकि उन्हें टैक्स कैलकुलेशन और अनुपालन में आसानी होगी। कुल मिलाकर, यह सुधार आम उपभोक्ता, व्यवसाय और सरकार सभी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है और भारतीय अर्थव्यवस्था को नई गति दे सकता है।
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