EPS Contribution Limit : कर्मचारी पेंशन योजना (Employees’ Pension Scheme – EPS) भारत सरकार द्वारा वर्ष 1995 में शुरू की गई एक प्रमुख सामाजिक सुरक्षा योजना है। इसका संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) करता है। EPS का उद्देश्य संगठित क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक सुनिश्चित मासिक पेंशन प्रदान करना है, ताकि वे अपने जीवन के उत्तरार्ध में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर रह सकें। यह योजना विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है जो लंबे समय तक संगठित क्षेत्र में कार्यरत रहते हैं ।

EPS में योगदान कैसे काम करता है?
जब कोई कर्मचारी EPF (Employees’ Provident Fund) के अंतर्गत आता है, तो उसका और उसके नियोक्ता दोनों का मासिक योगदान वेतन का 12% होता है। इस योगदान में से कर्मचारी का पूरा हिस्सा EPF में जाता है, जबकि नियोक्ता के 12% में से 8.33% EPS में जमा किया जाता है। यह 8.33% केवल एक निर्धारित वेतन सीमा तक ही लागू होता है और कर्मचारी के पेंशन फंड को बनाता है।
EPS में अधिकतम योगदान की सीमा (अप्रैल 2024 तक)
- अधिकतम वेतन सीमा: ₹15,000 प्रति माह
- अधिकतम मासिक योगदान (8.33%): ₹1,249.50 प्रति माह
यदि किसी कर्मचारी का वेतन ₹15,000 से अधिक है, तब भी EPS में योगदान सामान्यतः ₹15,000 तक के वेतन पर ही लागू होता है — जब तक कि उच्च पेंशन का विकल्प न चुना गया हो।
उच्च वेतन वाले कर्मचारियों के लिए विकल्प
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में एक ऐतिहासिक निर्णय में उन कर्मचारियों को उच्च पेंशन का विकल्प चुनने की अनुमति दी, जिनकी मासिक आय ₹15,000 से अधिक है। यह विकल्प उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है जो लंबी सेवा अवधि के साथ अधिक पेंशन प्राप्त करना चाहते हैं। इस विकल्प के लिए निम्नलिखित शर्तों का पालन आवश्यक है:
- संयुक्त सहमति: कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की लिखित सहमति अनिवार्य है।
- संयुक्त विकल्प फॉर्म: EPFO को एक संयुक्त विकल्प फॉर्म जमा करना होता है, जिसमें दोनों पक्षों की सहमति दर्ज होती है।
- समय सीमा: यह विकल्प एक निश्चित समय सीमा के भीतर ही मान्य है। विलंब होने पर यह विकल्प अमान्य हो सकता है।
- EPFO की स्वीकृति: अतिरिक्त योगदान तभी संभव है जब EPFO इस फॉर्म को मंजूरी दे।
- अतिरिक्त अंशदान: वास्तविक वेतन पर योगदान करने के लिए नियोक्ता को अधिक राशि का अंशदान करना होगा।
EPS में पेंशन की गणना कैसे होती है?
EPS में पेंशन की गणना निम्नलिखित दो मुख्य बातों पर आधारित होती है:
- सेवा की अवधि (Service Period): कर्मचारी ने कितने वर्षों तक सेवा की है। कम से कम 10 वर्षों की सेवा अनिवार्य है।
- औसत वेतन: अंतिम 60 महीनों का औसत वेतन, अधिकतम ₹15,000 तक (या अधिक, यदि उच्च पेंशन विकल्प चुना गया हो)।
पेंशन गणना सूत्र:
पेंशन = (औसत वेतन × सेवा के वर्ष) / 70
उदाहरण:
यदि किसी कर्मचारी का औसत वेतन ₹15,000 है और सेवा अवधि 30 वर्ष है:
(15,000 × 30) / 70 = ₹6,428.57 प्रति माह
यदि औसत वेतन ₹35,000 है:
(35,000 × 30) / 70 = ₹15,000 प्रति माह (लगभग)
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EPS से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें
- EPS में केवल नियोक्ता का योगदान शामिल होता है; कर्मचारी का नहीं।
- यदि सेवा 10 वर्ष से कम हो और कर्मचारी नौकरी छोड़ दे, तो वह निकासी लाभ (withdrawal benefit) के लिए पात्र हो सकता है।
- EPS में जमा राशि EPFO द्वारा प्रबंधित की जाती है; यह किसी व्यक्तिगत खाते में निवेशित नहीं होती।
- पेंशन 58 वर्ष की आयु से मिलनी शुरू होती है, हालांकि 50 वर्ष की आयु से ‘कम पेंशन’ विकल्प के साथ भी ली जा सकती है।
निष्कर्ष
EPS एक बेहद महत्वपूर्ण योजना है जो सेवानिवृत्ति के बाद की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करती है। आमतौर पर EPS में अधिकतम ₹1,249.50 का मासिक योगदान संभव है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, वास्तविक वेतन के आधार पर अधिक पेंशन पाने का विकल्प अब खुल चुका है।
यदि आपकी सेवा अवधि लंबी है और आप भविष्य में अधिक पेंशन पाना चाहते हैं, तो यह विकल्प आपके लिए लाभदायक हो सकता है। हालांकि इसके लिए सभी शर्तों और प्रक्रियाओं को समय पर पूरा करना आवश्यक है।
अधिक जानकारी, फॉर्म डाउनलोड और मार्गदर्शन के लिए आप EPFO की वेबसाइट पर जा सकते हैं या निकटतम EPFO कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।
यह जानकारी आपको EPS योजना को बेहतर समझने और भविष्य की योजना बनाने में मदद करेगी।
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